आओ जनता तुम्हे दिखाए मोडल नए विकास की, जनता को है मूर्ख बनाता मोडल एक विनाश की ! पानी नहीं अब तेल बहेगा तालाबिकरण की पूरि तैय्यारी है, सरकार की नैय्या तो पार लग गयी अब जहाज़ और शिकारों की बारी है ! बनारस अब कश्मीर बनेगा घाटों को अब पहचान मिलेगा, किसानों को रोज़गार बढेगा क्यूंकि तरबूज नहीं अब कमल खिलेगा ! खेतों में अब बिजली बनेगा सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा, हवा में भी अब धातु मिलेगा पारा के साथ आर्सेनिक भी मिलेगा ! काले पत्थर के खनन में देखो सरकार कैसे अंग्रेज़ बन रहे, बिजली घर के ताप में, धुएं में, राख में, कोयले के साथ घर और खेत जल रहे ! किसानों को अब नौकरी मिलेगी गरीबी के साथ बिमारी मुफ्त मिलेगी, देखो शहर वालों विकास देखो गाँवों जंगलों का विनाश देखो ! जमुना तो दम तोड़ चुकी थी नर्मदा अब भी लड़ रही है, गंगा भी दम तोड़ रही थी महानदी भी रो रही है ! जल जंगल जमीं की लड़ाई में किसान बन रहे है नक्सलाईट नए आजादी की लहर उठी है क्यूंकि लोकतंत्र अब है Modified!! - देबादित्यो सिन्हा People of Chhattisgarh protesting against a coal mine.
Debadityo Sinha is an award-winning Indian ecologist and conservationist with a keen interest in studying the impact of law, policy, politics, and culture on conservation. He is the founder and Managing Trustee of 'Vindhyan Ecology & Natural History Foundation', and a member of IUCN Species Survival Commission- Bear Specialist Group. He is associated with Vidhi Centre for Legal Policy as a Senior Resident Fellow and leading the 'Climate & Ecosystems' team.